हम दिवाली क्यों मनाते हैं 100 शब्दों में निबंध – दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत का सबसे प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है। यह त्योहार न केवल हिंदू धर्म में, बल्कि जैन, सिख और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी अत्यधिक महत्व रखता है। दिवाली का शाब्दिक अर्थ है ‘दीपों की पंक्ति’, और इस दिन दीपों की कतारों से घरों और रास्तों को सजाया जाता है। दीपावली का त्योहार अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई, और अज्ञानता पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है। यह त्योहार हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है और पांच दिनों तक चलता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हम दिवाली क्यों मनाते हैं? इस लेख में, हम दिवाली के पीछे की धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मान्यताओं पर चर्चा करेंगे।
भगवान राम की वापसी
दिवाली का सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण कारण भगवान राम की अयोध्या वापसी है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, भगवान राम ने 14 वर्षों के वनवास के दौरान रावण का वध किया था, जो कि लंका का दुष्ट राजा था। जब राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण अयोध्या लौटे, तो अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में दीप जलाए और पूरे राज्य को रोशन किया। यह घटना अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इसलिए, दिवाली का त्योहार भगवान राम की विजय और उनके आदर्शों को याद करने के लिए मनाया जाता है।
मां लक्ष्मी की पूजा
दिवाली का दूसरा प्रमुख कारण मां लक्ष्मी की पूजा से जुड़ा है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, दिवाली की रात को देवी लक्ष्मी, जो धन और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं, अपने भक्तों के घरों में आती हैं। इसलिए, इस दिन घरों की सफाई, सजावट और दीपों की रोशनी से घर को जगमगाया जाता है ताकि देवी लक्ष्मी घर में प्रवेश कर समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद दें। व्यापारी वर्ग के लोग इस दिन अपने नए खाता-बही की शुरुआत करते हैं, जिसे शुभ माना जाता है।
नरकासुर वध
दिवाली का एक अन्य कारण भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर का वध भी है। नरकासुर एक अत्याचारी राक्षस था जिसने कई स्त्रियों को बंदी बना रखा था। भगवान कृष्ण ने उसका वध कर उन सभी स्त्रियों को मुक्त किया। यह घटना बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है और इसे भी दिवाली मनाने का एक महत्वपूर्ण कारण माना जाता है।
सांस्कृतिक महत्व
दिवाली केवल धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह भारतीय समाज की संस्कृति और परंपराओं का भी हिस्सा है। यह दिन आपसी मेलजोल, प्यार, और खुशियों का प्रतीक है। इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं, मिठाइयाँ बांटते हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं। परिवार और मित्रों के साथ मिलकर पटाखे जलाए जाते हैं और उत्सव का आनंद लिया जाता है। इस समय व्यावसायिक गतिविधियों का भी बड़ा महत्व होता है, क्योंकि लोग नए सामान, गहने और कपड़े खरीदते हैं।
पर्यावरण और सामाजिक जिम्मेदारी
हालांकि दिवाली का त्योहार उत्साह और आनंद से भरा होता है, लेकिन हमें इसके साथ जुड़ी पर्यावरणीय और सामाजिक जिम्मेदारियों को भी नहीं भूलना चाहिए। पटाखों से प्रदूषण होता है, इसलिए कई लोग अब इको-फ्रेंडली दिवाली मनाने पर जोर दे रहे हैं। दीपावली के दौरान हमें ध्यान रखना चाहिए कि पर्यावरण का संरक्षण किया जाए और जरूरतमंद लोगों की सहायता की जाए।
निष्कर्ष
दिवाली का त्योहार विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों को एक सूत्र में बांधता है। यह अंधकार से प्रकाश की ओर, बुराई से अच्छाई की ओर और अज्ञानता से ज्ञान की ओर यात्रा का प्रतीक है। यह दिन हमें सद्भाव, प्रेम, और सहयोग का संदेश देता है। दिवाली का असली अर्थ तब पूरा होता है जब हम न केवल अपने घरों को दीपों से सजाते हैं, बल्कि अपने दिलों में भी प्रेम और करुणा का प्रकाश जलाते हैं।