दीपावाली पर निबंध कक्षा 6,7,8,9, – Essay On Diwali Class 6,7,8,9

दीपावली पर निबंध कक्षा 6, 7,8,9 – भारत त्योहारों का देश है, जहां हर त्योहार का अपना विशेष महत्व और पहचान है। इन्हीं त्योहारों में से एक सबसे प्रमुख और पवित्र त्योहार है दीपावली। दीपावली, जिसे दिवाली भी कहा जाता है, हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पर्व प्रकाश का प्रतीक है, जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत और अंधकार पर प्रकाश की विजय के रूप में मनाया जाता है। दीपावली सिर्फ हिंदू धर्म में ही नहीं, बल्कि जैन, सिख और बौद्ध धर्म में भी महत्वपूर्ण मानी जाती है।

दीपावली का धार्मिक और पौराणिक महत्व

दीपावली के साथ कई धार्मिक और पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। सबसे प्रसिद्ध कथा भगवान श्रीराम की अयोध्या वापसी से संबंधित है। मान्यता है कि जब भगवान श्रीराम, माता सीता और भाई लक्ष्मण 14 वर्षों का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे, तब अयोध्या के लोगों ने उनके स्वागत में दीप जलाए थे। तभी से दीपावली का पर्व प्रकाश और आनंद का प्रतीक बन गया है। यह कथा इस बात को भी इंगित करती है कि जब व्यक्ति अपने जीवन में सच्चाई और धर्म का पालन करता है, तो अंत में उसे विजय प्राप्त होती है।

जैन धर्म में दीपावली महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है। सिख धर्म में इस दिन गुरु हरगोबिंद सिंह जी ने मुगल कैद से मुक्ति पाई थी, जिसे ‘बंदी छोड़ दिवस’ कहा जाता है। बौद्ध धर्म में सम्राट अशोक के बौद्ध धर्म स्वीकारने के रूप में इस दिन को महत्व दिया जाता है।

दीपावली की तैयारियां और उत्सव

दीपावली का त्योहार पंचदिवसीय होता है। यह पर्व धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक चलता है। धनतेरस के दिन लोग सोने-चांदी के आभूषण और नए बर्तन खरीदते हैं। इस दिन को धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसके बाद नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली आती है, जिसमें घर की सफाई और सजावट की जाती है।

मुख्य दिन दीपावली का होता है, जिस दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करके लोग धन, सुख और समृद्धि की कामना करते हैं। घर-घर में दीये जलाए जाते हैं, रंगोली बनाई जाती है और आतिशबाजी की जाती है। इसके बाद गोवर्धन पूजा और फिर भाई दूज मनाई जाती है, जिसमें भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मनाया जाता है।

पर्यावरण और समाज पर प्रभाव

हालांकि दीपावली खुशियों और रोशनी का त्योहार है, परंतु आधुनिक समय में इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी सामने आए हैं। आतिशबाजी से होने वाला प्रदूषण पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रहा है। पटाखों से निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण को बढ़ाता है और ध्वनि प्रदूषण भी पैदा करता है, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ता है। इसके अलावा पटाखों के शोर से पशु-पक्षियों और वृद्ध लोगों को भी काफी परेशानी होती है।

आजकल जागरूक लोग पर्यावरण के प्रति सजग हो रहे हैं और पटाखों की जगह दीयों और मोमबत्तियों से दीपावली मनाने का चलन बढ़ रहा है। कई लोग पटाखों से बचने के लिए सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से ‘हरित दीपावली’ मनाने की अपील कर रहे हैं, जो पर्यावरण और समाज दोनों के लिए लाभकारी है।

दीपावली का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

दीपावली न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन लोग अपने पुराने मतभेदों को भूलकर एक-दूसरे से मिलते हैं, मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं और एकजुटता का संदेश देते हैं। यह पर्व रिश्तों में मिठास घोलने का काम करता है और समाज में भाईचारे और सौहार्द्र का माहौल पैदा करता है।

इसके अलावा, दीपावली आर्थिक दृष्टिकोण से भी एक महत्वपूर्ण समय होता है। इस समय बाजारों में खरीदारों की भारी भीड़ होती है, जिससे व्यापारियों को अच्छा लाभ होता है। यही कारण है कि दीपावली का समय भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

निष्कर्ष

दीपावली का पर्व हमें जीवन में सत्य, धर्म, और अच्छाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। यह त्योहार हमें अंधकार से प्रकाश की ओर, बुराई से अच्छाई की ओर और अज्ञानता से ज्ञान की ओर ले जाने का संदेश देता है। दीपावली केवल दीप जलाने का पर्व नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा अवसर है, जब हम अपने भीतर के अंधकार को मिटाकर, एक नई शुरुआत कर सकते हैं।

Leave a Comment